Music In Modern Era | संगीत प्रचार का आधुनिक काल
Instructions: Sign (k) = Komal Swar, (t) = Teevra Swar, Small Alphabets = Lower Octave, Capital Alphabets = Higher Octave. See Harmonium Theory Click Here Key Name details with diagram.
आधुनिक काल में संगीत के उद्धार और प्रचार का श्रेय महाराष्ट्र (भारत) की दो विभूतियों की है,
जिनके नाम है :- पंडित विष्णुनारायण भातखंडे और पंडित विष्णुदिगंबर पलुस्कर। दोनों ही महानुभाओ ने देश में जगह- जगह पर्यटन करके संगीत- कला का प्रचार किया एवं अनेक संगीत – विद्यालयों की स्थापना की। संगीत सम्मेलनों द्वारा संगीत पर विचार – विनिमय भी हुआ, जिसके फलस्वरूप जनसाधारण में संगीत के प्रति विशेष रूप से रूचि उत्त्पन्न हुई। इस काल में शास्त्रीय साधना के साथ-साथ संगीत में नवीन प्रयोगों द्वारा एक विशेषता पैदा करने का श्रेय विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर को है। इन्होने प्राचीन राग – रागिनियों के आकर्षक स्वर – समुदाय लेकर कलात्मक प्रयोगों द्वारा “रवीन्द्र – संगीत” के रूप में एक नई गान – शैली को जन्म दिया।
राजा नवाबअली-कृत (मुआरिफुन्नगमात ) : १९११ इसवी के लगभग लाहोर के रहनेवाले एक संगीत-विद्वान् रजा नवाब अली खां भातखंडे के संपर्क में आए। राजा साहब ने अपने एक प्रसिद्द गायक नजीर खां को आचार्य भातखंडे के पास संगीत के शास्त्रीय ज्ञान तथा लक्षण-गीतों को सीखने के लिए भेजा और फिर उर्दू में संगीत की एक सुन्दर पुस्तक मुआरि-फुन्नगमात लिखी। इस पुस्तक का यथेष्ट आदर हुआ।